लिव-इन-रिलेशनशिप..... लेखनी प्रतियोगिता -21-Dec-2021
लिव-इन-रिलेशनशिप
डॉक्टर के राउंड के बाद पीड़ित लोगों के इंटेंसिव केयर यूनिट में सन्नाटा पसरा हुआ था। मैं यानि रवि ऑक्सीजन और वेंटिलेटर जैसे कई उपकरणों के सहारे मृत्यु से जूझकर बेडपर पड़ा था। ऊपर से एसी की ठंड में इंटेंसिव केयर यूनिट में ड्यूटी पर तैनात नर्सें रात में केस पेपर पर नोट लेने में व्यस्त थीं।
इसके बाद वार्ड में एक बिस्तर पर मोबाइल फोन से कॉल करने की आवाज से उनका ध्यान भंग हो गया। नर्स उस बिस्तर की ओर चली गई। डॉक्टरों ने मरीजों को मोबाइल फोन रखने की इजाजत दी थी ताकि मरीज घर पर बात कर सके या परिवार के संपर्क में रह सके। जब वो बिस्तर पर पहुँची तो ३० वर्षीय मरीज बिस्तर पर लेटा हुआ था, उसे ऑक्सीजन से सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। दो-तीन दिन पहले तबीयत बिगड़ने पर उसे यहां शिफ्ट किया गया था। हालाँकि जब वह आया तो वह अच्छा ख़ासा होश में था, लेकिन जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी।
इस बीच जब मोबाइल बदस्तूर बज ही रहा था तब सिस्टर ने मोबाइल अपने कान से लगा लिया और कहा, "हॅलो सिस्टर बोल रही हूँ, आप कौन..? आपके मरीज को बात करने की इजाजत नहीं है। उनको ऑक्सीजन लगाया है। आप बाद में कॉल करें।"
"हॅलो हॅलो, सिस्टर, कृपया फोन बंद न करें। मुझे अभी उससे बात करनी है।" सामने से एक लड़की की आवाज आयी।
"अरे मैडम आप समझ क्यूँ नहीं रही, मरीज बात करने की स्थिति में नहीं है। बारबार कॉल करके डिस्टर्ब न करें।"
"प्लीज सिस्टर, सिर्फ ५ मिनट के लिये उससे बोलने दीजिये ना। शायद कल बहुत देर हो जायेगी, एक काम करो मोबाइल को स्पीकर पर रख दो। कृपया मेरी बात समझा करो सिस्टर, अन्यथा मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊँगी।" उस लड़की ने रोते हुए कहा।
"अरे ऐसे मत रोओ मैं कोशिश करती हूँ लेकिन क्या तुम्हारी आवाज़ उस तक पहुँचेगी? ठीक है। मैं मोबाइल स्पीकर पर रखती हूँ।"
"रवि, ए रवि, कैसा है तू..? ऐसा क्यूँ कर रहा है तू..? बेशक, मैंने तेरे किसी भी फोन कॉल और मैसेज का जवाब देना बंद कर दिया और महिला दिवस पर तुम्हारे द्वारा भेजी गई अच्छी पोस्ट को भी नजरअंदाज कर दिया। लेकिन आज के दो लाईन का मैसेज देखकर मैं स्तब्ध रह गयी। अरे, पक्की दोस्ती से हम एक-दूसरे के प्यार में कब पड़ गए थे, हमें यह पता भी नहीं था। लेकिन जैसे-जैसे हम मन से करीब आते गए, वैसे मेरे मन की भावनाओं को तुम समझ नहीं पाए।"
"मेरे लिए तुमसे दूर होना बहुत भारी लग रहा है। लेकिन ना चाहते हुए भी मैंने तुमसे दूरी स्वीकार ली थी। एक छोटे से शहर से आने के बाद, नौकरी के पहले दिन आपकी कंपनी की मॉडर्न संस्कृति को देखकर मैं डर गयी थी। मैं उस मध्यवर्गीय घर से हूँ जहाँ यह तय किया जाता है कि सोमवार या गुरुवार को मांसाहार किया जाये या नहीं। पर तुम तो पहले दिन से ही मेरी देखभाल कर रहे थे। तुमने मुझे वहां के नियम और शिष्टाचार सिखाया। लेकिन मैं उस दिखावटी माहौल में कभी फिट बैठी ही नहीं। नौकरी मेरे लिए महत्वपूर्ण थी, लेकिन मेरा वहां दम घुटता था। तो मैं वहां जॉब करती रही और दूसरी तरफ तुम्हारे प्यार की वर्षा में भीगती रही और उस दिन तुमने मुझसे सीधे लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने की जिद की, यह सब मेरे लिए बिल्कुल नया था।"
"अरे, घरवालों को विश्वास में रखकर, सब कुछ समझाकर तेरे से शादी करनी थी। मुझे मेहमानों की भीड़, हल्दी, रिसेप्शन, सहेलियों का छेड़ना सबकुछ अनुभव करना था। और तेरा तो कुछ अलग ही चल रहा था, दो साल तक साथ रहने का, अगर ठीक लगा तो कोर्ट मैरिज नहीं तो सब भाड़ में। अरे रवि, तुम यह सब कैसे कह सकते हो..? पहले इस्तेमाल करें फिर विश्वास करें, इस विज्ञापन के स्लोगन जैसे किसी प्रोडक्ट की टैगलाईन जैसे तुझे इतना आसान लगा यह सबकुछ..?"
"अरे, कैसा रिवाज है ये, लिव-इन-रिलेशनशिप, बिना शादी किए एक दूसरे के साथ रहना। अरे किधर से आया ये और नहीं ठीक लगा तो सीधा उस व्यक्ति को छोड़ दो। अरे जिस मिडल क्लास सोसायटी से मैं आयी हूँ वहाँ इसकी अनुमति नहीं है। और यह सब मेरे लिये नया है। क्या तुम्हें नहीं लगता कि अपनी पीढ़ी को मिली हुयी आजादी का बहुत ज्यादा फायदा उठा रही है? तुम्हें शादी और संस्कार जैसे बड़े शब्दों का प्रयोग करके लेक्चर नहीं देना है मुझे, और मेरी उतनी योग्यता भी नहीं है। लेकिन मैं तुम्हें याद दिलाना चाहती हूँ कि हमें वह नहीं करना है जो दूसरे करते हैं।"
"रवि, प्रेम विवाह ठीक है यार, और अभी तो उसे स्वीकार भी किया जा रहा है। लेकिन बिना शादी किये साथ रहना, यह बात कदापि मान्य नहीं है मुझे। और जिनको यह अच्छा लगता है वो रह सकते है। तुमने मुझे बहुत निराश किया है। लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है। मैंने तुम्हें अलविदा कहने के लिए यह फोन नहीं किया है। मैं आखरी सांस तक तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ, तुम्हारा साथ देना चाहती हूँ। अग्नि को साक्षी मानकर मैं आज भी तुम्हारे साथ सात फेरे लेने को तैयार हूँ और मैं अच्छी तरह जानती हूँ कि जो मैं कह रही हूँ वह तुम तक पहुँच रहा है।"
"मैं आज भी तुम्हारी राह देख रही हूँ। तुम्हें कुछ नहीं होगा, तुम इन सब से बाहर आओगे और तुम्हें आना ही होगा।" भले ही उसने बात करना बंद कर दिया हो, लेकिन उसकी आवाज आखिरकार रोने जैसी हो गयी थी। तब मोबाईल स्पीकर पर था और सिस्टर रवि की तरफ देख रही थीं। हालांकि उसका शरीर हिलडुल नहीं रहा था, लेकिन उसकी पलकों से आंसू बह रहे थे। उसके हर शब्द से रवि के आंसू छलक पड़ रहे थे। रवि की धीमी सांसें अब बढ़ गई थीं। बाद में बहुत देर से अपने हाथों में पकड़ा हुआ मोबाईल उस सिस्टर ने अपनी जगह पर रख दिया और वो खुद से ही बातें कर रही थी लेकिन वो बातें रवि को भी सुनाई दे रही थी, इतनी जोर से वह कह रही थी।
"ऐसा पार्टनर पाने के लिए किस्मत की जरूरत होती है। बड़े लोगों के आशीर्वाद से तुम दोनों का नाता और भी अटूट हो जायेगा। जल्दी से ठीक हो जा और कर उसके मन जैसा फिर देख कितना सुखी इंसान होगा तू।"
आज रवि को अस्पताल से डिस्चार्ज मिलनेवाला था और वो मलतब दीक्षा रिसेप्शन काउंटर के नजदीक खड़ी थी और उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी। वो अस्पताल से बाहर आया और उसके पीछेपीछे वो सिस्टर भी उसके साथ आयी और वो उस लड़की को हँसकर देखने लगी और उसने कहा, "ये देख लड़की अब संभाल इसे एक व्हायरस का ख़ात्मा हमने कर दिया है और दूसरे व्हायरस (लिव-इन-रिलेशनशिप) का ख़ात्मा तुमने किया है। एक मरीज के तौर पर अब ये एकदम निगेटिव्ह है और सातफेरे लेने के लिए पॉझिटिव्ह है। इसलिए अपना ख़याल रखो। और ऑल दी बेस्ट।"
दोनों ने एकदूसरे को जकड़कर गले लगाया और वहाँ से निकल गए एक नयी दुनिया बसाने के लिये।
समाप्त
#लेखनी
#लेखनी कहानी सफ़र
#लेखनी दैनिक प्रतियोगिता
रतन कुमार
22-Dec-2021 09:23 AM
Badiya kahani
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pk123
22-Dec-2021 10:36 AM
Thanks
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Abhinav ji
21-Dec-2021 11:37 PM
Happy ending nice
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pk123
22-Dec-2021 10:36 AM
Thanks
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Raghuveer Sharma
21-Dec-2021 10:54 PM
bahut hi sukhad ant
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pk123
22-Dec-2021 10:36 AM
Thanks
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